अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के शुअवसर पर आज दिनांक 01 मई 2023 को जन शिक्षण संस्थान, विकास भारती, दुमका के कार्यालय में "श्रमिक दिवस - श्रम अधिकारों और कानूनों पर जागरूकता कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। जन शिक्षण संस्थान विकास भारती दुमका की प्रभारी निदेशक श्रीमती अन्नू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम को मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके द्वारा किए गए योगदान को याद करना है। 1889 से पहले मजदूरों के साथ बहुत ज्यादा ज्यादती होती थी। मजदूरी कब तक करनी है इसकी कोई फिक्स्ड टाइम नहीं था जिसके शिकार हमारे मजदूर लोग होते थे उनसे कई घंटे काम लिया जाता था, आराम नहीं मिलने के कारण कई मजदूर मजदूरी करते हुए मृत्यु का शिकार हो जाते थे। जिससे आहत होकर मजदूरों ने 3 साल तक आंदोलन चलाया आखिरकार 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई जिसमें तय हुआ की हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा। इस सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था। और 1 मई को छुट्टी देने का फैसला लिया गया। लेकिन भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1 मई 1923 को मद्रास में मनाया गया था जिसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने की थी। लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष 1 मई को मज़दूर दिवस मनाया जाता है। श्रीमती अन्नू ने श्रमिकों के अधिकार एवं उनके रक्षार्थ कानूनों के बारे में कई सारी जानकारियां दी। तत्पश्चात जन शिक्षण संस्थान विकास भारती दुमका के कार्यक्रम पदाधिकारी दीपक कुमार सिंह ने सभा में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जन शिक्षण संस्थान, विकास भारती, दुमका के प्रभारी निदेशक श्रीमती अन्नू, कार्यक्रम पदाधिकारी दीपक कुमार सिंह, सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी दर्शन हेंब्रम (आजीविका), अकाउंटेंट प्रदीप कुमार शर्मा, एम०आई०एस० श्रीराम कुशवाहा, सविता किस्कू, आनंद कुमार, राजकुमार हेम्ब्रम के साथ सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।