दिनांक 19 जनवरी 2023 को विकास भवन, प्रखंड मुख्यालय जामा, दुमका में विकास भारती के 40वें वर्षगांठ पर 40 दिन 40 कार्यक्रम के उपलक्ष में ग्राम स्वराज एवं पेशा कानून पर परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल, प्रखंड अध्यक्ष विभूति भूषण यादव, बीडियो जामा सिद्धार्थ शंकर यादव, जन शिक्षण संस्थान विकास भारती दुमका के प्रभारी निदेशक श्रीमती अन्नू, कार्यक्रम प्रबंधक अभिनंदन कुमार, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन विशेषज्ञ मनोज कुमार सिन्हा, सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी दीपक कुमार सिंह एवं दर्शन हेम्ब्रम (आजीविका), सविता किस्कू, आनंद कुमार, महिला प्रधान जामा आसमुनी मराण्डी, कौशल्या देवी, सुमति हेंब्रम, पुषिया देवी के साथ 300 से ज्यादा लोग मौजूद रहे।
जिसमें मुख्य अतिथि प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल ने अपने संबोधन में कहा की पेसा कानून आदिवासी क्षेत्रों में मरती हुई स्वशासन प्रणाली को फिर से जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
यह कानून ग्राम सभाओं को जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के साथ स्थानीय बाजारों का प्रबंधन एवं भूमि अलगाव को रोकने के साथ नशीले पदार्थों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। साथ ही आदिवासियों को प्रभावित करने वाली योजनाओं पर नियंत्रण एवं एक गांव के क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण का भी अधिकार देता है। लेकिन केवल इन अधिकारों से हमारी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। ग्रामसभा को वित्तीय अधिकार मिलना चाहिए। तभी ग्रामसभा अपने इन अधिकारों का सदुपयोग कर पाएगी।
प्रखंड विकास पदाधिकारी जामा सिद्धार्थ शंकर यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की केंद्र एवं राज्य सरकार की जो भी योजनाएं गांवों के विकास के लिए लाई जाती है। हमारा प्रयास रहता है कि वे सारी योजनाएं आप सभी तक पहुंच पाए। और इनका भरपूर लाभ आप लोग उठा पाएं। पेसा कानून से हमारे प्रखंड के हर एक ग्राम पंचायत के लोग अवगत हों इसके लिए हम संपूर्ण प्रयास करेंगे।
इसी कड़ी में जन शिक्षण संस्थान विकास भारती दुमका के प्रभारी निदेशक श्रीमती अन्नू ने कहा की
पेसा कानून हमारे भारतीय संविधान का हिस्सा है, संविधान के 73वें संशोधन में पंचायत व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। जबकि 26 दिसंबर 1996 से पेशा कानून लागू है। पेसा कानून ग्राम सभाओं के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सुशासन सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। एवं ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंजूरी देने का भी अधिकार देता है। यह कानून आदिवासी समुदायों अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को सुशासन की अपनी प्रणाली के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है एवं यह कानून प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी स्वीकार करता है। जिसके तहत सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया जा सकता है।
जन शिक्षण संस्थान विकास भारती दुमका के सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी (आजीविका) दर्शन हेंब्रम के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।